मजबूरी
वो सर्द भीगी रात में
गुब्बारे बेचने निकला था
ठिठुरती आवाज़ से पुकारता
काँपते हाड़ों को संभालता
कोई...
गुब्बारे बेचने निकला था
ठिठुरती आवाज़ से पुकारता
काँपते हाड़ों को संभालता
कोई...