...

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कोई साथ नहीं
चले आए उस मोड़ पर हम जहां कोई साथ नहीं,
कहते हैं सब हम अपने हैं, कहते हैं सब हम अपने हैं
पर इस जीवन की राह में आज कोई साथ नहीं
एक पल कहीं रुक के कभी पूछता हूँ खुद से मैं
साथ चलने का वादा कितनों ने किया हमसे
पर कोई भी आज पास क्यों नहीं है।

कहते हैं सब हम समझते हैं तुम्हें,
फिर क्यों बयां करनी पड़ती हर बात हमें है।
मन के सवालों में कुछ यूहीं उलझा सा हूँ मैं,
मानो जैसे...