---:"माँ छोड़ मुझे तू कहाँ चली.....":---
माँ छोड़ मुझे तू कहाँ चली!
तूने मुझे जन्म दिया ,पाल पोश कर बड़ा किया;
सोची थी कुछ और करूँ ,थोड़ा सा दुःख और सहूँ
जब ये बड़ा हो जाएगा, मेरा मान बढ़ाएगा
तू सोच कर ये चली, माँ छोड़ मुझे तू कहाँ चली!
कभी किसी तकलीफ को मैंने जीवन में ना पाया,
खुद तू दुःख सहती थी, मुझे कभी ना बताया!
जीवन के इस धार को तू, देखी और ढली,
अपने इस बेटे को माँ, छोड़ अकेला कहाँ चली!
बचपन के...
तूने मुझे जन्म दिया ,पाल पोश कर बड़ा किया;
सोची थी कुछ और करूँ ,थोड़ा सा दुःख और सहूँ
जब ये बड़ा हो जाएगा, मेरा मान बढ़ाएगा
तू सोच कर ये चली, माँ छोड़ मुझे तू कहाँ चली!
कभी किसी तकलीफ को मैंने जीवन में ना पाया,
खुद तू दुःख सहती थी, मुझे कभी ना बताया!
जीवन के इस धार को तू, देखी और ढली,
अपने इस बेटे को माँ, छोड़ अकेला कहाँ चली!
बचपन के...