...

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होली /रंग
होली /रंग..
मोहब्बत का रंग एसा डाला
लाल हरा ना पीला काला
आँखों से ही यूँ उड़ेल डाला
हम तो खड़े थे.....
खड़े ही रह गए....
उसकी आंखों मैं जकड़े से रह गए
क्यों झपकाई तूने पलक
ये मोहब्बत के उड़ते रंग ही बदरंग कर दिए......
हम तो खड़े के खड़े रह गए...
और भिगा दिया तूने..
अपने इश्क़ के रंग से...
तूने इश्क़ का रंग इतना चटक डाला
जितना छुड़ाया उतना चढ़ा डाला..
रंग तो था ही नहीं जिंदगी मैं
और तू आयी रंगों का गुब्बारा लेके..
आँखों की पिचकारी लेके..
रंग दिया बेरंग जिंदगी को..
हम तो रंग गए तेरे रंग मैं
और तू हो गई सतरंगी..
सात रंगों का तेरा साया
मुझे तो बिल्कुल नहीं भाया
पर क्या करें....
जब बची हो सिर्फ काया
ये है सिर्फ मोह माया
इसलिए ही दिल नहीं लगाया
अब पढ़ गई है तेरी छाया
जैसे मैंने अब सब कुछ पाया
आए होली के फिर वो रंग
मन मैं आयी तरंग
दिल ने किया तंग
आ जाओ..
दे दे..
आँखों से वो...
फ़िर मोहब्बत के रंग...
© Abhishek mishra