एक दिन तुम्हारे बिना
एक दिन तुम्हारे बिना,
मेरी जो ये दिन से रात हुई है।
पूछना मत बिल्कुल कि क्या क्या बात हुयी है,
शोर और सन्नाटों ने भी अपनी मंजिल पकड़ ली..
और सुनो तो कि ये ख्यालों की भी क्या औकात हुयी है।।
न दिन में सूरज से आंखे भजने दी।
हो जाने पर अंधेरा न ही रोशनी करने दी।
उलझा के रखा पूरे दिन अपनी ऊटपटांग बातों में,
तुम्हारे...
मेरी जो ये दिन से रात हुई है।
पूछना मत बिल्कुल कि क्या क्या बात हुयी है,
शोर और सन्नाटों ने भी अपनी मंजिल पकड़ ली..
और सुनो तो कि ये ख्यालों की भी क्या औकात हुयी है।।
न दिन में सूरज से आंखे भजने दी।
हो जाने पर अंधेरा न ही रोशनी करने दी।
उलझा के रखा पूरे दिन अपनी ऊटपटांग बातों में,
तुम्हारे...