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बिखरे रंग :ज़िन्दगी के संग
कई ख्वाहिशों को संवरते देखे हैं
की ख्वाबों को बिखरते देखे हैं
समय जब हो मुट्ठी में अपने ना!
मैंनें गैरों को भी वहाँ अपने संग देखे हैं
इतना कौन सी बड़ी बात है
मुद्दे की बात तो ये है कि
ज़िन्दगी में जब सब साथ छोड़ देते हैं न
मैंने ज़िन्दगी के वो रंग भी देखे हैं
कौन है कितना कीमत कहां रखता
हर एक के मैंनें ढंग देखें हैं
कब बदलती है दुनिया किस तरह
उन दुनिया वालों के मैंनें पसन्द भी देखें है
किस तरह बनाते हैं काजल को टीका और उसी
काजल को बनते हुए मैंनें कलंक भी देखे हैं
सुनी है दास्ताँ बड़े से बड़े मजनूंओं की मैंनें
उन आशिकों को बनते हुए मैंनें दुष्यंत भी देखे हैं
देखा है दुनिया का स्वार्थ भी एक ओर तो एक ओर मम्मा _पापा की बाहों में
मैंनें निस्वार्थ उमंग भी देखें है
एक पल में वक्त छीन लेता है ख़ुशियाँ कैसे उन खुशियों के महलों में पड़ने वाले भंग भी देखे हैं
देखा है कभी शान्त शिव के स्वरूप को तो कभी डमरू के तीव्र करतल के साथ
होने वाले मैंनें ताण्डव के मृदंग भी देखे हैं
हां नहीं हूं मैं अनुभवी उतनी जीवन के इस दौर में अब तक पर सीख की कोई उम्र नहीं
अहंकार के आते ही भगवान की आराधना मैंनें
होते हुए दहन देखें हैं
दुखों के आते ही सुख का चले जाना और सुखों के रहते हुए बार बार दुखों का दरवाज़े पर दस्तक
शायद इतना काफ़ी तो नहीं पर
अभी ज़ारी है सीखना बहुत कुछ
चूंकि तुम्हारा तो पता नहीं लेकिन थोड़े ही सही
कभी फिरंगी सी उड़ती आरज़ू
कभी भावनाओं में बहती जूस्तजू
कभी हवाओं में तेज सिहरन
कभी डर के डर से कांपता बदन
कभी काले से लाल कभी लाल से सफ़ेद और कभी-कभी तो सतरंगी तो कभी हुए बदरंग
मैंनें तो ज़िन्दगी के हर अलग दर्पण में
हर अलग नज़रिये से भी हिस्से में भी
ज़िन्दगी के कुछ ऐसे ही रंग देखें हैं।।



© Princess cutie