...

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न देखें वो, आपकी नजर में जो, सही नहीं
मेहमानों पर चीखता चिल्लाता,
खुद ही खुद की गाथा गाता !
एक ही बात बार बार दोहराता,
खुद को सच्चा पत्रकार बताता ?

पत्रकारिता से परिचित ही नहीं,
चाटुकारिता से संलिपतता रही !
चीखने से झूठ सच न बन सकता,
इतनी सी भी इनको समझ नहीं !!

मेहमान क्यूं आ जाते जलालत सहने को,
शायद वे बुलाए ही न गये उनकी कहने को !
मिलीभगत का...