...

7 views

न देखें वो, आपकी नजर में जो, सही नहीं
मेहमानों पर चीखता चिल्लाता,
खुद ही खुद की गाथा गाता !
एक ही बात बार बार दोहराता,
खुद को सच्चा पत्रकार बताता ?

पत्रकारिता से परिचित ही नहीं,
चाटुकारिता से संलिपतता रही !
चीखने से झूठ सच न बन सकता,
इतनी सी भी इनको समझ नहीं !!

मेहमान क्यूं आ जाते जलालत सहने को,
शायद वे बुलाए ही न गये उनकी कहने को !
मिलीभगत का है सभी जगह बोलबाला,
दर्शक मजबूर है झूठ में उलझे रहने को !!

भला हो झूठा मीडिया आ जाये होश में,
बाज़ आये झूठे परोसने के जोश से !
जनता के सब्र का बांध उफान पर है,
डरना ही चाहिये जनसाधारण के रोष से !!

बंद हो जन नापसंद को पंसद बताना,
बंद हो हेराफेरी से विज्ञापन जुटाना !
बंद हो अनर्गल चीखना चिल्लाना,
बंद हो थोक में बेवकूफ बनाना !!

सरकारें खुद भी दूध की धुली नहीं,
नकेल की क्षमता सरकारों में बची नहीं !
इसका एकमात्र उपाय हाथ का रिमोट है,
न देखें वो जो आपको लगे, सही नहीं !!