"दूरी की सच्चाई"
तू जो मेरी थी, अब वो बातें कहाँ,
नए दोस्त आये, पुरानी यादें खो गईं वहाँ।
क्या फर्क पड़ता है, अब मैं सोचूं यही,
तेरी यादें दिल में, अब बन गईं ख़ाली।
तू खुश है, मैं दूर, बस यही फर्क है,
तेरे नए दोस्त, मेरे दिल का चीर है।
क्या फर्क पड़ा, अब...
नए दोस्त आये, पुरानी यादें खो गईं वहाँ।
क्या फर्क पड़ता है, अब मैं सोचूं यही,
तेरी यादें दिल में, अब बन गईं ख़ाली।
तू खुश है, मैं दूर, बस यही फर्क है,
तेरे नए दोस्त, मेरे दिल का चीर है।
क्या फर्क पड़ा, अब...