...

6 views

ग़ज़ल - आँखें
यूं तो फ़िलहाल मैं कुछ ठीक नहीं हूँ लेकिन,
तेरे आने की घड़ी देख रही हैं आँखें।
यूँ तो फ़िलहाल...
सोचता हूँ, अश्क तुमने भी बहाए क्या कभी,
या यूँही लाल किए बैठा हूँ मैं ये आँखें।
यूँ तो फ़िलहाल.....
खोया है चैन, सुकूं और मैंने खो दी है हँसी,
ढूँढती हैं पर ये तुझको ही क्यों मेरी आँखें?
यूँ तो फ़िलहाल.....
ग़र छलक जाएं ये उस रोज़ तो बहने देना,
जब तेरी आँखों से मिल जायेंगी मेरी आँखें।
यूँ तो फ़िलहाल....
इस कदर राह तेरी देख रहा हूँ, मैं अगर,
मर भी जाऊँ तो खुली छोड़ दूँ मैं ये आँखें।
यूँ तो फ़िलहाल....

© AK. Sharma