...

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"सब्र"
भरी अँखियाँ ना बहे...
कहने भर से भरती आए।

लफ्ज़ रुस्वा हो गुम,
कंठ बे-आवाज़ हो जाए।

प्रेम में सहज़ हम,
दीदार को तरस जाए।

रब की चाह बेहतर हमेशा,
कैसी परीक्षा कैसा उत्तरफल आए।

थोड़ा और सब्र दे हमें,
मुश्किलें आसान हो जाए।।

© सांवली (Reena)