बढ़े थे जो कदम...
कदम तो सबने रखे अपने
कुछ ठहर से गए इधर
कुछ बना लिए पकड़ इस मंच पर
कुछ ईद का चांद बने
कुछ बढ़कर आगे
फिर वापिस हो चले
कुछ चलते हुए राह भुला दिए
कुछ चलना छोड़ चुके
कला और क्षमता दोनों ही थी
लिखने की, पढ़ने की ,
और प्रोत्साह...
कुछ ठहर से गए इधर
कुछ बना लिए पकड़ इस मंच पर
कुछ ईद का चांद बने
कुछ बढ़कर आगे
फिर वापिस हो चले
कुछ चलते हुए राह भुला दिए
कुछ चलना छोड़ चुके
कला और क्षमता दोनों ही थी
लिखने की, पढ़ने की ,
और प्रोत्साह...