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मेरी जिंदगी......
मेरी जिंदगी उस किताब की तरहा हैं!
जिस किताब का एक पन्हा फटते ही,धिरे धिर उस किताब के सभी पन्हे फट जाते हैं!
......
उसी तरह मेरी जिंदगी से जूडा हर इन्सान मुझसे दूर जा रहा है!...
मेरी जिंदगी का पहला पन्हा ही......
मेरी वह बेरहम माॅ थीं जो मुझे बचपन में बेसहारा छोडकर चली गयी..........
.......
जब माॅ ही छोडकर चली गयी!
तब बाकीयो से तुट गयी उम्मीदे कयी!
Sakshi mule......✍️✍️
© All Rights Reserved
जिस किताब का एक पन्हा फटते ही,धिरे धिर उस किताब के सभी पन्हे फट जाते हैं!
......
उसी तरह मेरी जिंदगी से जूडा हर इन्सान मुझसे दूर जा रहा है!...
मेरी जिंदगी का पहला पन्हा ही......
मेरी वह बेरहम माॅ थीं जो मुझे बचपन में बेसहारा छोडकर चली गयी..........
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जब माॅ ही छोडकर चली गयी!
तब बाकीयो से तुट गयी उम्मीदे कयी!
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