दुआ
हर नज़ारे को एक नज़र मिले
तृष्णा मिट जाए दुआ है, जीवन भर मिले
क़तरा-क़तरा क़द्र, इस क़दर मिले
जाने-अनजाने ग़ैर मिले मगर कोई ग़ैर कभी, बेघर ना मिले
जो ना चाहे वह भी झुकना चाहे, ऐसे सर को भी एक ऐसा दर मिले
खबर के लिए बेसबर मिले मगर कभी कोई, बेखबर ना मिले
कुछ पाने...
तृष्णा मिट जाए दुआ है, जीवन भर मिले
क़तरा-क़तरा क़द्र, इस क़दर मिले
जाने-अनजाने ग़ैर मिले मगर कोई ग़ैर कभी, बेघर ना मिले
जो ना चाहे वह भी झुकना चाहे, ऐसे सर को भी एक ऐसा दर मिले
खबर के लिए बेसबर मिले मगर कभी कोई, बेखबर ना मिले
कुछ पाने...