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टूटे अक्स: आत्मचिंतन का दर्पण
#टूटेअक्स

टूटे आईने,
टूटे अक्स,
दरकती आवाज़ें,
छनकती आहें,
हजारों टुकड़े,
धारदार किनारे,
हजारों प्रतिबिंब।

हरेक में एक नया चेहरा,
ढेरों कहानियां,
सब में मैं हीं हूं मोहरा।

जैसे हजारों ख्वाहिशें,
जुड़ने से पहले हीं
चनक कर बिखरी,
कैसे निभाता? दुनियादारी की
अनगिनत फरमाइशें।

जैसे पत्थरों की बौछार,
छलनी कर गए
दिलों दिमाग,
भेद डाला इंसानियत की दीवार।

सभी संवेदनाएं,
उद्वेलित...