...

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अधूरी है ये दुनिया।
उसके बिना यह दुनिया अधूरी लगती हैे,
काश वो होती तो पूरी लगती मुझे,
मैं तो नन्ही जान थी,
पर फिर भी उसकी पहचान थी,
एक बार वापस आकर तो देखती,
उसकी हर गलती भी माफ थी,
तरस ना आया उसको मुझ पर,
मैं उसकी भी औलाद थी,
इस दुनिया में लाई तो थी वो मुझे,
पर मेरा हाथ न थाम पाई थी,
कैसी इंसान थी वो,
जो खुद की जान की तस्वीर ना देख पाई थी
कैसा इंतिहान लिया आपने मेरा जो मैं उनसे ना मिल पाई थी।

© Lalita paliwal