...

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तुम्हारी उम्र दराज़ हो.
तुम्हारी पूरी रूह_ए_नियाज़ हो.
तुम, हर, बज्म में, सरफराज हो.

मेरी उम्र भी तुम्हे ही लग जाए,
खुदा करे, तुम्हारी उम्र दराज़ हो.

हर जुबां पे हो तुम्हारा ही चर्चा,
तुम्हारा नाम इस कदर फराज हो.

खुशियां ही खुशियां मिले तुम्हें,
बीते कल से बेहतर तेरा आज हो.

कोई दर्द परेशानी तेरे करीब न हो,
जीस्त तेरी, खुशियों का साज हो.

हर दिल पे हो तुम्हारा ही कब्ज़ा,
तेरे सर पे कामयाबी का ताज हो.

© एहसास ए मानसी