...

26 views

हमारे दरमियाँ
जब भी साँस लेती हूँ तेरी याद आती है,
अगर ना लूँ तो यारा मेरी जान जाती है।

कैसे कह दूँ सिर्फ़ साँस लेने से जिंदा हूँ,
साँस भी तो तेरी याद के बाद आती है।

जुड़ा है राब्ता तेरी रूह से मेरी रूह का,
तुझे याद किए बगैर सुकून नहीं पाती है।

कुछ भी तो बाकि न रहा हमारे दरमियाँ,
पर मेरी साँसें हर पल तुझे गुनगुनाती है।

क़िस्मत ही रुठ गई जबसे तू बिछड़ा है,
तुम बिन यहाँ पर ये तन्हाईयाँ डराती है।

तेरी खुशियों के खातिर अब भी"खराज"
कोई मंदिर में हर रोज़ दिया जलाती है।
© पुखराज