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काश
ज़िन्दगी कभी भी एक काश पर नहीं चलती , की काश ऐसा होता तो वैसा होता ।
काश एक रात के सपने की तरह है , होता तो सबके साथ है पर उतनी ही जल्दी सुबह के सपने की तरह फुर्र भी हो जाता है ।

आप ज़िन्दगी को कभी भी हल्के में नहीं ले सकते , वो बदले में आपकी कब ले लेगी आपको पता ही नहीं चलेगा । इसीलिए जितना मेहनत आप अभी कर सकते है , उतना बाद में नहीं ।

ज़िन्दगी भी एक उगते हुए सूरज की तरह है , सूरज की रोशनी में रहना सबको है पर फिर अधेरो से डर भी उतना ही लगता है । बस इसी अंधेरे को पकड़ कर उजालों में चलना है , मंज़िल खुद ब खुद मिल जायेगी ।

राह थोड़ी सी मुश्किल होगी , अकेले का सफर होगा ।
चलते चलते कभी थक भी जाओगे , पर हौसला अपना बुलंद रखना है ।
अगर कोई उस सफ़र में तुम्हारे साथ ना भी हुआ तो क्या , तुम को बस खुद का साथी बनना है ।
मंज़िल को बस अपनी नज़रों के सामने रखकर बस उस पर ही चलना है । क्योंकि ज़िन्दगी कभी भी एक काश पर कभी नहीं गुजारी जाती ।