बुलाते पहाड़
जब जब होती है बारिश,
पहाड़ निहारते है, उन घरों को,
जहाँ अब कोई नहीं रहता.
टप टप खपरैल से टपकती,
बारिश की उदास बूंदे,
तलाशती है उन हाथों को,
जो खिड़कियों से कभी,
बाहर निकलते थे थामने ...
पहाड़ निहारते है, उन घरों को,
जहाँ अब कोई नहीं रहता.
टप टप खपरैल से टपकती,
बारिश की उदास बूंदे,
तलाशती है उन हाथों को,
जो खिड़कियों से कभी,
बाहर निकलते थे थामने ...