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मैं तो एक वैश्या हूं :- निखिल ठाकुर
@nikhil thakur
अपने जिस्म की प्यास बुझाने,सभी आते है यहां पे ।
हर एक अपनी हैवानियत,दिखाने आते है यहां पे।।
क्योंकि मैं तो एक वैश्या हूं।!!१!!

क्या छोटा बडा ,क्या जवान क्या बुड्ढा ।
सभी अपनी आग को ,बुझाने आते है यहां पे ।।
क्योंकि मैं तो एक वैश्या हूं !!२!!

कोई भी समझ ना सका मजबूरी को मेरी।
कोई जान ना सका,दर्द को मेरे ।।
यूं ही शौक से नहीं करती हूं मैं।
अपने जिस्म का सौदा यहां ।।
एक येही तो है जिसके सहारे मेरा परिवार का भुखा पेट पलता है ।।
क्योंकि मैं तो एक वैश्या हूं ...!!३!!

कुछ अपनों ने इस जमाने में ठोकरे दी।
तो कुछ समाज के खोखलेपन ने ठोकरे दी ।
दर-ब-दर ठोकरों का सिलसिला मिलता रहा मुझे।
वरना कोई भी यूं ही नहीं अपने जिस्म की नुमाईश करती है।
क्योंकि मैं तो एक वैश्या हूं !!४!!

बेवसी -लाचारी का फायदा तो यहा पें ।
हर काम वासना के भुखे भेडियों ने उठाया है।।
समाज में किसी स्त्री के साथ बल्ताकार ना हो।
इसीलिए हर एक दरिंदों की भुख मिटाती हूं ।।
क्योंकि मैं तो एक वैश्या हूं !!५!!

आज भी मैंं एक कलंक से भरा जीवन जी रही हूं।
समाज की गंदी नजर पर टिकी रहती हूं मैं।।
हर एक गली मोहल्ले,व लोग हमें गालियां देते है।
अपनी प्यास बुझाकर यही कहते है अब सभी।।
साली तू तो रंडी है ।
सुनकर यह अपमान भी सह लेती हूं मैं।।
क्योंकि मैं तो एक वैश्या हूं !!६!!

प्यास तुम्हारी बुझा के,खुद को बेच दिया है मैने ।
हर पल अब मन ही मन, खुद की जिन्दगी को कोसती हूं मैं।।
हे!खुदा कभी भी किसी स्त्री को ऐसी जिन्दगी ना मिले।
अपनी हर तकलीफ छुपाकर मुस्कुराती हूं अब मै।।
क्योंकि मैं तो एक वैश्या हूं
हां मैं तो एक रंडी ही हूं...!!७!!



लेखक:-निखिल ठाकुर
© Nikhilthakur