...

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मेरे आंखों के दीप
मेरे आंखों के दीप

तुम कभीं प्यार बन कर आँखों से सीधा दिल में उतर जाते हो,
तुम कभी कभी आँखों का सागर बन के बहते जाते हों,
मैं कितना भी चाहूँ तो तुम्हें नजरों से नहीं गिरा सकती.
तुम मेरे आंखों के दीप हो, जो मेरे जहां को रोशन किए जाते हो!
© Infinite Optimism