12 views
महरूम
दरअसल दर्द दिल में नहीं दिमाग में रहता है
दिल तो बेचारा, हर तकलीफ़ सहता है
जब भी कोई रिश्ता, तुम्हारा टूटता है,
तब दिमाग का ही पहले, पसीना निकलता है।
दिल तो बेचारा, बस ठंडे में सोता है
दिमाग ही प्यार के, चंगुल में फंसता है
दिल तो बेचारा, दिमाग को भी साबूत निगलता है
दिमाग हर चीज़ से वाकिफ रहता है,
और दिल तो बेचारा, महरुम जुबां से भी चलता है
_पहल
दिल तो बेचारा, हर तकलीफ़ सहता है
जब भी कोई रिश्ता, तुम्हारा टूटता है,
तब दिमाग का ही पहले, पसीना निकलता है।
दिल तो बेचारा, बस ठंडे में सोता है
दिमाग ही प्यार के, चंगुल में फंसता है
दिल तो बेचारा, दिमाग को भी साबूत निगलता है
दिमाग हर चीज़ से वाकिफ रहता है,
और दिल तो बेचारा, महरुम जुबां से भी चलता है
_पहल
Related Stories
11 Likes
0
Comments
11 Likes
0
Comments