...

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सबकुछ तो है
सब कुछ तो है पास हमारे,कुछ की कमी भी नही।
हम खुश क्यूँ नही,हम पहले की तरह हँसते क्यूँ नही।
पहले मिलते थे चौक चौराहों पे,चार बातें कर खुश हो जाते,
हज़ारों है CONTACT LIST में,पर बातों का सुख नही।

कैसे खुद को खुश रखे,फंस गए मायाजाल में।
किसी ने खोजी धन दौलत में,किसी ने खोजी मोटरकार में।
हम तो वहीं के वहीं रह गए,दुनियां के इस व्यापार में।
सच कहकर भी दुखी हो गए,झूठ से फंस गए जंजाल में।

बड़ी बड़ी खुशियों के पीछे भागते,न पाकर दुखी हो जाते है।
इस दौड़ में न जाने हम,छोटी खुशियां देख न पाते।
पिछली रात अच्छी नींद आयी,भाग्य से मेरी नींद खुली
गर्मी में भी AC चला,बिजली भी गुल न हुई।

अपने ही हाथों से BRUSH किया,अपनी चाय बनायीं।
मन में आते अच्छे विचारों को,सहेज कर कहीं रख लिया।
जो उत्साहित करेंगे उदास होने पर,मेरे या किसी के मन को
जीवन है छोटे कदमों से,मन को खुश कर जाने को।
संजीव बल्लाल २९/३/२०२४© BALLAL S