तकलीफ़ उन दिनों की
हो जाती हूँ रजस्वला उन पांच दिनों के लिए,
तो ना जाने क्यों बन जाती हूँ अछूत सभी के लिए,
ना कर सकती हूं पूजन देवी का,
ना कर सकती हूँ प्रवेश रसोईघर में,
जब गिरता है लहू उन 5 दिन मेरे ज़िस्म से,
तो ना जाने क्यों हो जाती हूँ बेगानी सी...!
सहती हूँ पेट दर्द पहले दिन से पांचवे दिन तक,
कभी होती है कमज़ोरी मेरे...
तो ना जाने क्यों बन जाती हूँ अछूत सभी के लिए,
ना कर सकती हूं पूजन देवी का,
ना कर सकती हूँ प्रवेश रसोईघर में,
जब गिरता है लहू उन 5 दिन मेरे ज़िस्म से,
तो ना जाने क्यों हो जाती हूँ बेगानी सी...!
सहती हूँ पेट दर्द पहले दिन से पांचवे दिन तक,
कभी होती है कमज़ोरी मेरे...