इश्क़ का रँग
क्या याद है वो रंग इश्क़ का
चेहरे पर क्या खूब चढ़ा था !
सुबह लगती थी गुलाबी
सुनहरी धूप ने गालों को मला था !
सफ़ेद चादर लिए आती सर्द...
चेहरे पर क्या खूब चढ़ा था !
सुबह लगती थी गुलाबी
सुनहरी धूप ने गालों को मला था !
सफ़ेद चादर लिए आती सर्द...