...

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जो मुझे छोड़कर जा रहे हैं...
हम हैं कि उनके लिए मरे जा रहे हैं
और वो हैं कि हम से ही दूर जा रहे हैं
अरे कोई तो हकीकत बता दे मुझे
कब से हम ख्वाबों में जिए जा रहे हैं

गमों को अपने दिल में छुपा कर
आंसुओ के घूंट सारे पिए जा रहे हैं
उनकी हरकत पे कोई इक घूंट पानी न दे
और हम प्यार का सागर लूटा रहे हैं

तड़पा रहें हैं, वो हरपल रुला रहे हैं
ऐसा करके वो, न जाने क्या पा रहे हैं

हमने चाहा जिसे जिंदगी भर 'विनीत'
आज वो ही मेरे, मुझको ठुकरा रहे हैं
मैंने सजाया था जिनको सरआंखों पर
आज वो ही नजर में... गिरे जा रहे हैं

मैं जीतूंगा, मैं आऊंगा फिर लौटकर
मैं महफिल सजाऊंगा, फिर लौटकर
कोई बात नहीं, अगर वो जा रहे हैं
मेरे जज्बातों को, अगर वो ठुकरा रहे हैं

मैं भले ही उनके बिन अधूरा रहा
पर ए जिंदगी, मेरा तुझसे वादा रहा
अब न आएंगे वो मेरी जिंदगी में कभी
जो मुझे गमों में छोड़कर जा रहे हैं

© Vineet