तुम शब्दों में
एक शाम यूं ही डूबते सूरज को निहारते हुए
कुछ यादों ने यूं बीते वक्त में गोता मारा,
कि छोटी सी मुस्कान ने छलकती आंखों को दिया सहारा।
अधूरे तुम थे अधूरे हम थे,पर न जाने क्या था किस्मत का इशारा।
मुसाफिर की तरह जिंदगी के सफर में यूं चलना होगा,
वो वक्त अब न लौटेगा दुबारा।
कुछ यादों ने यूं बीते वक्त में गोता मारा,
कि छोटी सी मुस्कान ने छलकती आंखों को दिया सहारा।
अधूरे तुम थे अधूरे हम थे,पर न जाने क्या था किस्मत का इशारा।
मुसाफिर की तरह जिंदगी के सफर में यूं चलना होगा,
वो वक्त अब न लौटेगा दुबारा।