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"जीना सीख लिया"
ज़िंदगी के दिए तजुर्बों से हमने,
अब जीना सीख लिया...
आँखों में आँसूं लेकर भी हमने,
अब मुस्कुराना सीख लिया.!
अब नही बोती,दिल की बंजर जमीं पे,
मैं ख्वाबों के दरखत कभी,
ख्वाईशो को दफ़न कर,झूठी उम्मीदों को
हमने मिटाना सीख लिया.!
अब नही होता दर्द महसूस, दूसरों के
दिए ज़ख्मों से मुझको,
मैंने खुद ही खुद पर खंजर अब तो,
चलाना सीख लिया.!
ज़हर अपनों की बेरुखी ने इस कदर
भर दिया है मुझमें...
आस्तीन के सांपों को देखकर, हमने भी
अब फन उठाना सीख लिया.!
अब जीना सीख लिया...
आँखों में आँसूं लेकर भी हमने,
अब मुस्कुराना सीख लिया.!
अब नही बोती,दिल की बंजर जमीं पे,
मैं ख्वाबों के दरखत कभी,
ख्वाईशो को दफ़न कर,झूठी उम्मीदों को
हमने मिटाना सीख लिया.!
अब नही होता दर्द महसूस, दूसरों के
दिए ज़ख्मों से मुझको,
मैंने खुद ही खुद पर खंजर अब तो,
चलाना सीख लिया.!
ज़हर अपनों की बेरुखी ने इस कदर
भर दिया है मुझमें...
आस्तीन के सांपों को देखकर, हमने भी
अब फन उठाना सीख लिया.!
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