...

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कोई और
ये बिखरा ज़िस्म तो मेरा है कब्र तक ले जाएगा कोई और ।
कल रवानगी होगी मेरी अश्क-ए-अब्र बहाएगा कोई और ।।

इन खुश्क आँखों के चश्म-ए-दरिया मे लरजता अक्स मेरा ।
यूँ शाम ढ़ले क्या पता इन आँखों मे लौट आएगा कोई और ।।

वो पन्नों पर बने कागज़ के फूल महकते न...