ए नारी🖋
सुनो , समझो नारी ...... ए नारी क्या हो रहा , कैसे हो रहा ,क्यो हो रहा ,कब तक होगा
क्या सारी नारियों के साथ उनका चीरहरण होगा
लड़की होना क्या सही मे अभिशाप सा हो गया है
ये डर कही खत्म सा हो रहा था , क्यो ये उभर रहा है
क्या सही में हमारी क्रद नहीं बची
रो रही है आँखे आज
अपने आप को देखकर डर लग रहा क्या अब अगली जिस्म हमारी होगी
रूह में एक कंपकपी सी फैल गई है
अब , वीरान सड़के खुले आसमान जो आँखे सूकून सी रहती थी वो सिकुड़ सी गई है
क्या सही मे इन दरिदों को जिस्म की भूख है
क्या सही में अब यही रह गया है
कि खुद़ा से एक ही दरखस्त के.....
" अगले जन्म मोहे बिटिया न कीजो "
क्या सारी नारियों के साथ उनका चीरहरण होगा
लड़की होना क्या सही मे अभिशाप सा हो गया है
ये डर कही खत्म सा हो रहा था , क्यो ये उभर रहा है
क्या सही में हमारी क्रद नहीं बची
रो रही है आँखे आज
अपने आप को देखकर डर लग रहा क्या अब अगली जिस्म हमारी होगी
रूह में एक कंपकपी सी फैल गई है
अब , वीरान सड़के खुले आसमान जो आँखे सूकून सी रहती थी वो सिकुड़ सी गई है
क्या सही मे इन दरिदों को जिस्म की भूख है
क्या सही में अब यही रह गया है
कि खुद़ा से एक ही दरखस्त के.....
" अगले जन्म मोहे बिटिया न कीजो "