...

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बस तुझको लिखा
कभी बैठ अंधेरी रातों में
कभी झूम सावन की बरसातों में
मैंने जब भी लिखा
बस तुझको लिखा

कभी अपनी ही बातों में
कभी दुनियां भर के नातों में
मैंने जब भी ढूंढा
बस तुझको ढूंढा

कभी खुशियों की बारातों में
कभी गमों के हालातों में
मैंने जब भी चाहा
बस तुझको चाहा

कभी पीरों पर मजारों में
कभी कान्हा से दुआओं में
मैंने जब भी मांगा
बस तुझको मांगा

कभी गुमसुम सी निगाहों में
कभी अपनी बाहों की पनाहों में
मैंने जब भी सोचा
बस तुझको सोचा

कभी बैठ अकेली रातों में
कभी झूम सावन की बरसातों में
मैंने जब भी लिखा
बस तुझको लिखा।

अंजली