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वक्त.. मैं और मेरी दोस्त
बहुत कुछ कहना था उससे
ढेर सारी बातें करनी थी
कुछ अपनी बतानी थी..
कुछ उसकी सूननी थी
वो कहती तो है कि..याद आती है तेरी
पर ना जाने क्यूं..उसकी जुबां पर मेरा जिक्र नहीं था
नहीं, ऐसा नहीं है कि वो मसरुफ़ ठहरीं
फुर्सत तो थी उसके पास
पर वो वक्त मेरा नहीं था...
अक्सर वो भी कह दिया करती है मुझसे
की मैं बदल ग‌ई हूं..
हंस कर टाल देती हूं उसकी बात
शायद मेरे पास उसका कोई जवाब नहीं था
सच में बहुत कुछ बदल गया हमारे दरमियान
वो बदल ग‌ई या मैं बदल ग‌ई
या बदल गया ये वक्त
पर यकिनन पहले जैसे कोई बात ही नहीं थी ..!!



(waqt ke sath sb badal jate hai..dost bhi. pta hi nhi chlta kb batein etni kam ho gyi ki WhatsApp me sbse upar rhne wali chat aaj dikhayi deni hi band ho gyi... khair maine socha ab wo writco par nhi hai toh usse thoda famous kiya jaye🤭)

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