...

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माटी की सड़किया
माटी की सड़किया भई चिकनी सपाट हो,
बात करती खिलखिलाती सूनी हुई बाट हो ।
टूट गई झोपड़िया हो सारी इंट्वा के भार से,
परे–परे कोनवा मा टूट गई खाट हो।
निकर के अंचरा से पहुंच गए बिदेसवा,
अंगनवा बीरान लागेला।
न जाने कौन गली भाग गाएं गदेलवा,
गंउना श्मशान लागेला।
गंउना श्मशान लागेला।।
–ध्रुव


© हरिदास