क्या यही बस तेरी यारी है...
वक्त के साथ बदलना लाजमी है
पर रिस्तों को ही बदल देना
ये कहां की समझदारी है
माना बीच मझदार में फंसा है
पर किसी को अच्छा
तो बिन समझे किसी को बुरा
ये तो...
पर रिस्तों को ही बदल देना
ये कहां की समझदारी है
माना बीच मझदार में फंसा है
पर किसी को अच्छा
तो बिन समझे किसी को बुरा
ये तो...