...

30 views

क्या यही बस तेरी यारी है...
वक्त के साथ बदलना लाजमी है
पर रिस्तों को ही बदल देना
ये कहां की समझदारी है
माना बीच मझदार में फंसा है
पर किसी को अच्छा
तो बिन समझे किसी को बुरा
ये तो शराशर गैर जिम्मेदारी है
यूं बन ठनकर
सब रिश्ते नातों को पीछे छोड़कर
कहां जाने की तैयारी है
बुढे़ माँ बाप को आशा देकर
किसी के संग
जीने मरने की कसमें खाकर
बिच राह में छोड़ जाना
ये कहां की खुद्दारी है
क्या यही बस तेरी यारी है?

© Sankranti chauhan