...

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नारी
नारी हूं अबला नहीं समझो मुझे।
अपने पुरुष होने पर ना अभिमान करो।
याद करो नारी की कोख की उपज हो तुम। जीवन देने के पहले से ही तुम्हारा भाड़ लिए फिरती रहीं।
और जन्मोपरान तुम्हारे हित में ही सोचती रही।
नारी को ना समझो कमजोर तुम
कम में ना आंको उन्हें।
नारी तो पुरुषों का अस्त्र और शस्त्र है। उसके जीवन की ढ़ाल है,
उसकी जरूरतों की दुकान है।
नारी का करो आदर सदा, उनका ना अपमान करो।
नारी रूप है दुर्गा का तो कभी काली का।जिस रूप में ढ़ालो वो ढ़ल जाती है।
जरूरत पड़ी तो वह चंडीका भी बन जाती। नारी अब सशक्त है, अब कहां वह लाचार है।
मर्दों के कंधों से कंधा मिलाकर अब चलने को तैयार है।
नारी ने खुद को साबित कर दिखाया है।
हर फील्ड में अब नारी करती अपना योगदान है।
धरती हो या हो आकाश नारी ने परचम फहराया है।
घर हो या हो दफ्तर का काम, सब को उसने बखूबी निभाया है।
अपनी प्रतिभा का लोहा उसने जहां में मनवाया है।
दो कुंलो का मान रखती, हंसते-हंसते सब सह लेती।
उसका ना तिरस्कार करो,सदा ही उसका सम्मान करो।
ना करो नारी का उपहास कोई,
उसने ही तुम को जीवनदान दिया है
और पुरुष होने का गौरव तुम्हें उसी से प्राप्त हुआ है।

माधुरी राठौर ✍️



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