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मिलन की दास्तां
उसके और मेरे मिलन की
अनोखी ये दास्तां है
उसका यूं चुपके से आना
आके सीने से लगाना
उसकी वो खुशबू वो मदहोश
का आलम पूरी रात एक दूसरे
में घुम प्यार की अटकलियां
मानो चांद लम्हों में जन्नत का
मिल जाना , वो भी क्या मिलन
की बेला हुआ करती थी उसका
घर जल्दी वापिस जाने को तड़पना
कोई जान न ले इस डर से छिपना
उसका रूठना मनाना उसको रोकना
पहुंचना सब कुछ कितना सुहाना सा
लगता है , उसके और मेरे मिलन की
दस्तना अनोखी से लगता है
© sac_lostsoul
अनोखी ये दास्तां है
उसका यूं चुपके से आना
आके सीने से लगाना
उसकी वो खुशबू वो मदहोश
का आलम पूरी रात एक दूसरे
में घुम प्यार की अटकलियां
मानो चांद लम्हों में जन्नत का
मिल जाना , वो भी क्या मिलन
की बेला हुआ करती थी उसका
घर जल्दी वापिस जाने को तड़पना
कोई जान न ले इस डर से छिपना
उसका रूठना मनाना उसको रोकना
पहुंचना सब कुछ कितना सुहाना सा
लगता है , उसके और मेरे मिलन की
दस्तना अनोखी से लगता है
© sac_lostsoul
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