...

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*** हां, मैं आगे बढ़ चुकी हूं..***

पुरानी यादों को पीछे छोड़ चुकी हूं....
नई खुशनुमा दुनिया बसा चुकी हूं....

अपने दुख-दर्द का त्याग कर.....
झोली अपनी खुशियों से भर चुकी हुं...

कब तक जीती यादों की पाबंदियों मैं...
मैं उसे पूरी तरह भुला चुकी हूं...

मासूमियत छुपी हुई थी मेरे अंदर...
मैं सब को माफ कर चुकी हूं.....

कोई सच्चा नहीं होता इस दुनिया मैं..
इस बात को पीछे छोड़ चुकी हुं...



© Rudravi