...

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मैं लिख देती हूं।
कभी दिल का हाल लिख लेती हूं,
जब हूं बेहाल तो लिख देती हूं,
कभी आसमान से बात करके,
उसका ख़्याल लिख देती हूं,
कभी चांदनी में मस्त होकर,
तारों की दास्तां लिख देती हूं,
कभी खिलखिलाते पत्तों का,
हवाओं से उलझना लिख देती हूं,
कभी फूलों का निखार देख के,
खुशबू का बयान लिख देती हूं,
जो दिल में आए लिख देती हूं,
जो ख़्वाब सजाए वो लिख लेती हूं,
जो कह ना पाई मैं किसी से,
वो अनकही उलझने लिख देती हूं,
तकिए ने जाने जो अरमान अधूरे,
उनको में कभी लिख देती हूं,
जब हूं खुशनुमा तो लिख देती हूं,
जब हूं उदास तो लिख देती हूं,
मैं फनकार नहीं हूं यूं तो आला,
बस आपबीती मैं लिख देती हूं।

© the_little_ladys_diary