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क्यों ना
क्यों रूठे ना हमसे कोई,
पुरी दुनिया ही रूठी हुई है,
क्यों ना करे कोई विश्वास हम पे,
जब हमे खुद पे नही है,
किसी रिश्ते की गहराई में नहीं जाते,
डर तो इस बात का है कि,
कमब्खत तैर के भी डूब जाएंगे,
क्यों ना इस समुंदर सी आंखों से,
आसू गिरते,
जैसे जब इस समुंदर में सैलाब आता है,
पर एक अश्क बाहर आता नही,
कि क्यों खुद को ही अकेला रहते और पाते है,
ना किसिपे बुझ बनना चाहते है,
बस युही कश्मकश में रहते है।।
-Feel through words
© Feel_through_words
पुरी दुनिया ही रूठी हुई है,
क्यों ना करे कोई विश्वास हम पे,
जब हमे खुद पे नही है,
किसी रिश्ते की गहराई में नहीं जाते,
डर तो इस बात का है कि,
कमब्खत तैर के भी डूब जाएंगे,
क्यों ना इस समुंदर सी आंखों से,
आसू गिरते,
जैसे जब इस समुंदर में सैलाब आता है,
पर एक अश्क बाहर आता नही,
कि क्यों खुद को ही अकेला रहते और पाते है,
ना किसिपे बुझ बनना चाहते है,
बस युही कश्मकश में रहते है।।
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