...

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Dil ke rubaru
फ़साना अब कोई अंजाम पाना चाहता है
तअल्लुक़ टूटने को एक बहाना चाहता है

जहा इक शख्स भी मिलता नहीं है
चाहने से वहा दिल हथेली पर जमाना चाहता है

मुझे समझा रही है आँख की तहरीर उसकी
वो आधे रस्ते से लौट जाना चाहता है

ये लाजिम है की आँखे दान करदे इश्क़ को वो
जो अपने ख्वाब की ताबीर पाना चाहता है

बहुत उकता गया है वो बे-सूकूनी से वो अपनी समुन्दर झील के नजदीक आना चाहता है

वो मुझको आजमाता ही रहा है जिंदगी भर
मगर ये दिल अब उसको आजमाना चाहता है

उसे भी जिंदगी करनी पड़ेगी मीर जैसी
सुखन से गर कोई रिश्ता निभाना चाहता है
© WinterPoetry📝