हर विषय की किताब है औरत..
इंसान का हसीं ख़्वाब है औरत।
हर माइने में लाजबाब है औरत।।
कुछ और पढ़ने की ज़रूरत नहीं,
हर विषय की किताब है औरत।।
रोज़ ऐ ज़ज़ा का इंतज़ार न कर,
यक़ी कर एक अज़ाब है औरत।।
क्यों यहां वहां भटकते हो ज़नाब,
हर सवाल का जवाब है औरत।।
बेशर्मो से भरी इस दुनियां केवल,
शर्म ओ...
हर माइने में लाजबाब है औरत।।
कुछ और पढ़ने की ज़रूरत नहीं,
हर विषय की किताब है औरत।।
रोज़ ऐ ज़ज़ा का इंतज़ार न कर,
यक़ी कर एक अज़ाब है औरत।।
क्यों यहां वहां भटकते हो ज़नाब,
हर सवाल का जवाब है औरत।।
बेशर्मो से भरी इस दुनियां केवल,
शर्म ओ...