...

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तेरा नाम सुबह सांय
धूप हो या छांव
तेरा नाम सुबह सांय

तपते रेगिस्तान में
तेरी याद है संबल
जब तू चलती है
लगती नदी चंबल

अरावली की पहाड़ियां
लगती तेरा आंचल
हाड़ौती ‌की तरह
तुझमें है हलचल

मैं सूखा रेगिस्तान
कभी कर रूख इधर
तेरी ‌संगत मिले तो  पीछे
छोड़ देंगे पंजाब और ईडर ।।








© Mohan sardarshahari