तेरा नाम सुबह सांय
धूप हो या छांव
तेरा नाम सुबह सांय
तपते रेगिस्तान में
तेरी याद है संबल
जब तू चलती है
लगती नदी चंबल
अरावली की पहाड़ियां
लगती तेरा आंचल
हाड़ौती की तरह
तुझमें है हलचल
मैं सूखा रेगिस्तान
कभी कर रूख इधर
तेरी संगत मिले तो पीछे
छोड़ देंगे पंजाब और ईडर ।।
© Mohan sardarshahari
तेरा नाम सुबह सांय
तपते रेगिस्तान में
तेरी याद है संबल
जब तू चलती है
लगती नदी चंबल
अरावली की पहाड़ियां
लगती तेरा आंचल
हाड़ौती की तरह
तुझमें है हलचल
मैं सूखा रेगिस्तान
कभी कर रूख इधर
तेरी संगत मिले तो पीछे
छोड़ देंगे पंजाब और ईडर ।।
© Mohan sardarshahari