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विश्वास
बिटिया पढ़ने भेजते, कर शिक्षक पर विश्वास।
ईश्वर उस में देखते, इनमें सुरसति का वास।।
शिक्षित करना ठेठ से ,है रहा सर्वोत्तम काम।
जस मिलता संसार से, शासन से अच्छे दाम।।
माटी का कच्चा लोथड़ा, होता बालक रूप।
गढ़ना होता ज्ञान से, पहचान सके तम कूप।।
कर्म स्वयंका भूलकर, जब गिरजाता इंसान।
भर नयनो में वासना, औरत शिष्या समान।
अंक शयन करे छात्रा,जब देता लालच लोभ।
पढ़ सुन ऐसा वाकया, होता है मन में क्षोभ।
हरकत जब हैवान की, खुलती चारों और।
गिरगिटसा रंग बदलकर,कहे नही मै चोर।।
खेतको खाए बाड़ जब,रक्षक भक्षक बन जाय।
महफूज रहे सब बेटियां, केसे हम करे उपाय।।