...

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"शेरनी चाहिए"।
आज हमे पापा की परी नहीं,
पापा की शेरनी चाहिए,
जो करे हैवानों की हैवानियत का शिकार,
और अपने बल पर खत्म करे दुराचार।

आज हमे पापा की परी नहीं,
पापा की शेरनी चाहिए,
जो करे दुरात्माओं में डर का संचार,
और पैदा करे लोगो के मन में नए विचार।

आज बेटी को अबला नहीं,
ऐसी दुर्गा बनाइए,
जो महिषासुर मर्दनी बनकर,
आज के महिषासुर को मारे।

विजय पथ पर बढ़कर, ऐसी विजय करे प्राप्त,
कि हैवानों कि आत्मा कांप उठे,
और उनका शीश कभी ऊपर न उठे।

आज बेटी को ऐसी शक्ति बनाओ,
जो खत्म करे संसारी मन के द्वंद्व,
हर अग्रज - अनुज से इतनी सी है आराधना,
कि तुम भी उनके साथ - हाथ बढ़ाओ,
जिससे वो हैवानियत को करे बंद।

आज पापा कि परी नहीं,
पापा की शेरनी चाहिए,
जो करे हैवानों की हैवानियत का शिकार,
और अपने बल पर खत्म करे दुराचार।

कवि --रूप(R.G.H)
© रूप(R.G.H.)