...

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मेरा पहला प्यार
जब मैं पहली बार उससे मिला ,
मैं उससे और वह मुझे अनजान सा था ;

करता भी क्या मैं,थोड़ा नादान सा था;

कुछ हफ्ते बीते उसे मेरा एहसास हुआ ,
मैं यूं एक कदम उसके पास हुआ;

वह मेरे वजूद से खुश, मुझे समझने की कोशिश में था;
मैं अपने में मगन ,खुद में ही गुम सा था ;

कुछ महीने बीते ,मैं उसे अपने होने का एहसास हर पल करने लगा;
उसकी बातों ,उसकी आदतों ,में मैं भी ढलने लगा;

संग संग रहते हुए ,मुझे कभी यह एहसास ही नहीं हुआ;
वह मेरा पहला प्यार है, यह तब समझ आया जब मैं उससे जुदा हुआ;

बहुत रोया तड़प के मैं, वह रोते हुए भी हंस रही थी; फिर एकाएक उसने मेरे सरापे को हुआ ;
मैं मौन आवक थोड़ा डरा सा था ,
वह मुझे सुकून देने के प्रयास में...