...

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यादें बचपन की
पहले गर्मी की छुट्टी में कही कोई
*समर कैंप* नहीं होते थे,
पुरानी चादर से छत के कोने
पर ही टेंट बना लेते थे ,
क्या ज़माना था जब ऊंगली से
लकीर खींच बंटवारा हो जाता था,
लोटा पानी खेल कर ही घर परिवार की
परिभाषा सीख लेते थे।
*मामा , मासी , बुआ, चाचा के
बच्चे सब सगे भाई लगते थे,
कज़िन क्या बला होती है कुछ पता नही था।*
घर छोटा ही सही पर प्यार से गुजारा हो जाता था.

*कंचे, गोटियों, इमली के चियो से खजाने भरे जाते थे,*
कान की गर्मी से वज़ीर , चोर पकड़ लाते थे,
*सांप सीढ़ी गिरना और संभलना सिखलाता था*,
*कैरम घर की रानी की अहमियत बतलाता था,*
घर छोटा ही सही पर प्यार से गुजारा हो जाता था.

*पुरानी पोलिश की डिब्बी तराजू बन जाती थी ,*...