...

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उससे मोहब्बत जता कर मैं खुद को तड़पा रहा हूं
उससे मोहब्बत जता कर
मैं खुद को तड़पा रहा हूं
झूठा आश्वासन देखकर
आत्मा को तसल्ली दिला रहा हूं
उससे मोहब्बत,,,,,

धैर्य साहस और अनुशासन से
मैं खुद पर लगाम लग रहा हूं
आगे क्या होगा
सोच सोच घबरा रहा हूं
उससे मोहब्बत,,,,,

ना करना किसी से मोहब्बत
मैं अपना हालात बता रहा हूं
हर कुछ जानते हुए भी
झूठी तस्वीर खुद को दिखा रहा हूं
उससे मोहब्बत,,,,,

मैं अपना जान ओ जिस्म
सुलगती आग में जला रहा हूं
खुद कि दर्द ओर बेताबी को
तड़प तड़प कर बता रहा हूं
उससे मोहब्बत,,,,,

मत आना इस कांटे भरी राहों में
मैं आकर दिल छल्ली छल्ली करवा रहा हूं
जिंदगी को हथेली पर रख
किसी तरफ से जिए जा रहा हूं
उससे मोहब्बत,,,,,

इससे अच्छा होता मौत आ जाता
पर मरने से पहले कुछ काम करने जा रहा हूं
जिस्म से जान निकाल कर
उनके हवाले करने जा रहा हूं
उससे मोहब्बत,,,,,

संदीप कुमार अररिया बिहार
© Sandeep Kumar