...

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मुझसे कहां दूर तू है
मुझसे कहां दूर तू है,
जिस खुले आसमान के नीचे मैं हूं
उसी आसमान के नीचे तू है।

जो हवा तेरी जुल्फे उड़ा के आ रही है,
वही हवा मुझको भी बहका रही है,
अपने साथ तेरी सुगंध भी ला रही है,
लगता है मेरी सांसों बस गई तू है,
देख मुझसे कहां दूर तू है।

जिस चांदनी ने तेरे लबों को छुआ है,
वही चांदनी मेरे लबों को छू रही है,
मदहोश ऐसा कर रहा है तेरा जादू
मुझको लगता है चांदनी नहीं ये तू है,
देख मुझसे कहा दूर तू है।

तारे देखो तुम्हारी आंखों की चमक लेकर
मेरी आंखों में चमक रही है,
मानो आंखों से तुम कुछ कह रही हो
आंखों की ये कैसी गुफ्तगू है,
देख मुझसे कहां दूर तू है।

जिस रात के आगोश में तुम हो,
वही रात मुझको अपने आगोश में भर रही है,
देखो जुगनू कैसे बराती बनकर
तुमको मेरा कर रही है।
मेरी हो जाओ तुम बस इतनी ही तो आरजू है,
देख मुझसे कहां दूर तू है।

हवा में तुम्हारा मेरा घर बनाकर मैं सो गया हूं,
तुम मेरी नहीं तो तो क्या मैं तुम्हारा हो गया हूं,
रोज बुनता हूं कहानी जो हमारे मिलन की
लो आज भी करदी शुरू है,
देख मुझसे कहां दूर तू है।
देख मुझसे कहां दूर तू है।

© @bhaskar