याद तुम्हारी आती है
सूरज होता है क्षितिज पर, पंछी घरों को जाते है।
छा जाता है अंधियारा स्याह, थके हुए सब सोते है।
मै भी दिनभर के अभिनय से, थककर लेट जाता हूं।
अनगिनत बूंदों के बहाव को, रोक नहीं पाता हूं।
स्याह अंधेरे का आश्रय पाकर, अश्रुधारा का बहाव तेज होता है।
वर्षा में नन्ही बूंदों का सहारा पाकर, जैसे क्रोधित नदी का तांडव होता है।
मैं मन को बहलाता हूं, फुसलाता हूं
लाख बहाने कर, हर रोज मनाता हूं।
वो नहीं किस्मत में, तू क्यों रोता है
इस जगत के साथ, तेरा भाग्य भी सोता है।
हा! धिक मुझे मै कायर हूं।
जो इस अन्तर्द्वंद को, ना जीत पाया हूं।
ये मोह का जंजाल है, यह माया कि चाल है ।
भ्रमित, मैं इसका अंत ना पाता हूं।
हम दूर हुए जाते है क्यूं? इसका उचित कारण ना जान पाता हूं।
...
छा जाता है अंधियारा स्याह, थके हुए सब सोते है।
मै भी दिनभर के अभिनय से, थककर लेट जाता हूं।
अनगिनत बूंदों के बहाव को, रोक नहीं पाता हूं।
स्याह अंधेरे का आश्रय पाकर, अश्रुधारा का बहाव तेज होता है।
वर्षा में नन्ही बूंदों का सहारा पाकर, जैसे क्रोधित नदी का तांडव होता है।
मैं मन को बहलाता हूं, फुसलाता हूं
लाख बहाने कर, हर रोज मनाता हूं।
वो नहीं किस्मत में, तू क्यों रोता है
इस जगत के साथ, तेरा भाग्य भी सोता है।
हा! धिक मुझे मै कायर हूं।
जो इस अन्तर्द्वंद को, ना जीत पाया हूं।
ये मोह का जंजाल है, यह माया कि चाल है ।
भ्रमित, मैं इसका अंत ना पाता हूं।
हम दूर हुए जाते है क्यूं? इसका उचित कारण ना जान पाता हूं।
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