...

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सुबह आने की आस...
"रुकना चाहिये था तुम्हें"कहके रोका था उन्हें
रुक गयी जिंदगी, ठहर गए वो जीवन भर के लिये
अजीब सी खुमारी छाई थी उनके दीदार की
तड़पते थे बीते दिन में सुबह आने की आस लिये

चाय के प्याले में शक़्कर सा घोला था...